फ़ुरसत के लम्हे-
मजा ज़िन्दगी का लिए जा रहे हैं,
हस्ते मुस्कुराते जिए जा रहे हैं,
फुरसत के लम्हे मिले जो हमे कुछ
तो भरपूर मन से सुस्ता रहे हैं
ये झरने, पहाड़िया,ये पगडंडियां है
घने जंगलों में वो मुस्कुराती खिड़कियां है,
मिट्टी की खुशबू और अोस का पानी
पैरो तले वो नमी वो रवानी
महसूस करते चले जा रहे है
फुरसत के लम्हे मिले जो हमे कुछ
मजा ज़िन्दगी का लिए जा रहे हैं।
सुबह सुबह की वो ठंडी हवाएं
सूरज की किरणें कुछ यूं मुस्कुराए
चाय की चुस्की और वो बाते
ये छुट्टी के है पल वो ऐहसास लात
तो भरपूर मन से सुस्ता रहे हैं
फुरसत के लम्हे मिले जो हमे कुछ
मजा ज़िन्दगी का लिए जा रहे हैं
By kshitij Agrawal
very well Written