बेचना इनकी जरुरत है
बेचना मज़बूरी है
क्युकी जीना जरुरी है
गरीब है फिर भी खुस है
क्युकी जरुरत कम है
थोड़ा है थोड़े की जरुरत है
जितना हम जूठन छोड़ देते
उतने से इनका पेट भर जाता
मिट जाए जो भूख
अगर गरीबी की है,
बढ़ती ही जाए तो वह
भूख अमीरी की है।
भूखा तो गरीब भी है
भूखा तो आमिर भी है
पैसे की भूख
जिस्म की भूख
शोहरत की भूख
ताकत की भूख
भूख जो कभी मिटती नहीं
गरीब का क्या रोना क्या धोना
उसी तो फुटपाथ पे है सोना
दो वक्त की रोटी मिले तो खाना
वरना खाली पेट है सोना।
फिर भी सोने के लिए किसी गरीब को
गोली की जरुरत नहीं पड़ती
कुछ लोग गरीब बोलने में सकुचाते
निडी, बेसहारा,निर्धन,अकिंचन,जरूरतमंद
न जाने क्या क्या बोलते
पर कुछ बोलने से
क्या उनकी औकात बदल जाती
गरीबी में सुंदरता भी अभिशाप होती है
हर रात किसी की लुटती इज़्ज़त होती है
किसी गरीब की भी इज़्ज़त होती है
सिनेमा में ये डायलॉग बहुत सुनते है
असल में सरे आम बेइज़्ज़ती इनकी होती है
किसी गरीब को नसीहत मत देना
देना तो थोड़ी इज़्ज़त थोड़ी से सहायता देना
very nicely written…